नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने रविवार को कहा कि वह भारत में सभी विदेशी दूतावासों के सम्पर्क में है और उनकी चिकित्सा संबंधी तथा खास तौर पर कोविड-19 से जुड़ी मांगों पर जवाब दे रहा है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि दूतावासों की चिकित्सा संबंधी मांगों में अस्पतालों में उपचार संबंधी सुविधा मुहैया कराना शामिल है. उन्होंने सभी से ऑक्सीजन सहित आवश्यक आपूर्ति से जुड़ी सामग्रियों की जमाखोरी नहीं करने की अपील की.
एमईए ने फिलीपीन के दूतावास से सम्पर्क किया- जयशंकर
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश पर निशाना साधा, जब उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि भारतीय युवा कांग्रेस विदेशी दूतावासों के संकटकालीन संदेशों (एसओएस) को देख रही है और आश्चर्य जताया कि क्या एमईए सो रही है?
रमेश ने भारतीय युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी के ट्विटर पर पोस्ट किये गए एक वीडियो को साझा किया, जिसमें दिल्ली में फिलिपीन के दूतावास में एक मिनी वैन को ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ प्रवेश करते दिखाया गया है.
MEA checked with the Philippines Embassy. This was an unsolicited supply as they had no Covid cases. Clearly for cheap publicity by you know who. Giving away cylinders like this when there are people in desperate need of oxygen is simply appalling. @Jairam_Ramesh https://t.co/G3jPE3c0nR
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) May 2, 2021
जयशंकर ने ट्वीट किया, ‘‘एमईए ने फिलीपीन के दूतावास से सम्पर्क किया. यह अनचाही आपूर्ति थी और वहां कोई कोविड-19 का मामला नहीं था. स्पष्ट है कि यह आपकी ओर से सस्ती लोकप्रियता के लिये था. जब लोगों को ऑक्सीजन की काफी जरूरत हो तब इस प्रकार से सिलिंडर देना विस्मयकारी है.’’
रमेश ने भारतीय युवा कांग्रेस की सराहना की
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘जयरामजी, एमईए कभी नहीं सोता है. हमारे लोग पूरी दुनिया में जानते हैं. एमईए कभी फर्जी बातें भी नहीं करता. हम जानते हैं कि कौन करता है.’’ गौरतलब है कि श्रीनिवास ने #एसओएसआईवाईसी कैप्शन के साथ वीडियो ट्वीट किया. वहीं, रमेश ने भारतीय युवा कांग्रेस की सराहना की.
दूसरी ओर, बागची ने अपने बयान में कहा कि विदेश मंत्रालय विदेशी मिशनों की चिकित्सा संबंधी मांग पर जवाब दे रहा है. मुख्य प्रोटोकॉल और प्रकोष्ठों के प्रमुख सभी उच्चायोगों/दूतावासों के सतत संपर्क में हैं और उनकी चिकित्सा संबंधी मांगों पर जवाब दे रहे हैं, जिसमें अस्पतालों में उपचार की सुविधा भी शामिल है.
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