निफ्टी वीकली एक्सपायरी: आसान और प्रैक्टिकल गाइड
निफ्टी वीकली एक्सपायरी का मतलब है हर हफ्ते खत्म होने वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट। यह आमतौर पर गुरुवार को होता है और बाजार की दिशा पर बड़ी प्रभावित डाल सकता है।
हफ्ते भर ओपन इंटरेस्ट और इम्प्लाइड वॉलैटिलिटी बदलते रहते हैं। एक्सपायरी के पास थीटा यानी समय मूल्य तेज घटता है। यह खरीदारों के लिए नुकसान और विक्रेता के लिए मौका बन सकता है।
लोग छोटी‑टाइन फ्रेम पर स्काल्प करते हैं, कुछ स्प्रेड्स और हेजिंग पसंद करते हैं। बेचने पर प्रीमियम decay फायदा देता है पर रिस्क अनलिमिटेड हो सकता है। हमेशा स्टॉप‑लॉस और साइज मैनेजमेंट रखें।
क्या देखें और क्यों
पहला ओपन इंटरेस्ट देखें जिससे पता चले किस स्ट्राइक में पैसा लगा है। दूसरा, IV और वॉलैटिलिटी ट्रेंड देखें क्योंकि प्रीमियम इनसे मजबूत प्रभावित होता है। तीसरा, बैंक‑निफ्टी और अक्षांश इंडेक्स की मूवमेंट देखें। चौथा, ब्रोकरेज पॉलिसी और ऑटॉ‑स्क्वॉए समझ लें।
साधारण उदाहरण और टिप्स
मान लीजिए निफ्टी 22000 पर है। आप 22100 कॉल बेचते हैं और प्रीमियम 40 मिलता है। अगर एक्सपायरी पर निफ्टी 22100 से नीचे रहे तो आप 40 प्रति कॉन्ट्रैक्ट कमाएंगे। पर अगर निफ्टी 22200 हो गया तो नुकसान 100 होगा। इसलिए छोटे साइज से शुरुआत करें और गणना हमेशा पहले कर लें।
टैक्स और ब्रोकरेज को जोड़कर नेट प्रॉफिट देखें। कुछ ब्रोकर्स एक्सपायरी के दिन ऑटो‑स्क्वॉए करते हैं, यह समझ लें वरना स्लीपेज हो सकती है। एक्सपायरी पर मार्जिन जरूरतें बढ़ती हैं इसलिए जोखिम सीमित रखें।
भावनात्मक नियंत्रण जरूरी है। नुकसान होने पर पैनिक न करें और पोजिशन बड़ा न करें। ट्रेडिंग जर्नल रखें, हर ट्रेड लिखें और रिव्यू करें। डेमो से अभ्यास करें लेकिन असली ट्रेडिंग नियम अलग रखें।
रिस्क को % में रखें। सामान्य सुझाव है कि एक ट्रेड पर कुल पूंजी का 1–2% ही जोखिम लें। अगर आप अकाउंट का बड़ा हिस्सा खो देते हैं तो वापसी मुश्किल होती है। हेजिंग विकल्प जैसे स्प्रेड आपको नुकसान कम रखने में मदद कर सकते हैं।
कंपनी रिजल्ट, RBI नीति, सरकारी आर्थिक आंकड़े और विदेशी बाजार मूवमेंट जैसे इवेंट्स एक्सपायरी पर बड़ा असर डालते हैं। ऐसी खबरों से पहले पोजिशन छोटा रखें या हेज कर लें। एक्सपायरी वाले दिन अचानक गैप बन सकता है, इसलिए रातभर ओवरनाइट पोजिशन सोच‑समझकर रखें।
ट्रेडिंग में अच्छी चार्टिंग, ओपन इंटरेस्ट टूल और इम्प्लाइड वॉलैटिलिटी चार्ट मदद करते हैं। मूविंग एवरेज और सपोर्ट‑रेसिस्टेंस लेवल तेजी से निर्णय लेने में सहायक होते हैं। लाइव टाइम फ्रेम पर टिके रहें और बड़े न्यूज के समय अलर्ट लगाएं।
स्ट्राइक चुनते समय बेसिक बात है कि आपको संभावित मूव का अंदाजा लगाना होगा। नजदीकी ओपन इंटरेस्ट ज़ोन और चार्ट पैटर्न देखें। अगर अनिश्चितता ज्यादा है तो स्ट्राइक से दूर स्प्रेड लें जिससे नुकसान सीमित रहे। सप्ताह के अंत में पोजिशन क्लीन रखने से अप्रत्याशित एक्सपोज़र कम होगा।
त्वरित चेकलिस्ट: ओपन इंटरेस्ट, IV, मार्जिन, ब्रोकरेज पॉलिसी और न्यूज। हमेशा छोटे साइज से शुरू करें, स्टॉप‑लॉस लगाएँ, हर ट्रेड लिखें और रिव्यू करें। अभ्यास और अनुशासन से आप वीकली एक्सपायरी में सूझबूझ से ट्रेड कर सकेंगे। धीरे‑धीरे आकार बढ़ाएँ और बड़ा जोखिम तभी लें जब अनुभव हो। अधिक सुरक्षित

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