एक्सपायरी डे का खेल: कौन बनता है गेनर, कौन लूजर
एक्सपायरी वाले गुरुवार को बाजार अक्सर पल-पल रंग बदलता है। वजह सीधी है—ऑप्शंस और फ्यूचर्स की पोजिशनें उसी दिन निपटती हैं, हेजिंग खुलती है और नई शॉर्ट-लॉन्ग बनती-बिखरती हैं। इसी खींचतान में कई शेयर अचानक उछलते या फिसलते दिखते हैं। निफ्टी वीकली एक्सपायरी पर यही दबाव सबसे ज्यादा दिखता है।
मांगी गई तारीख के लिए शेयर-विशेष सूची अभी उपलब्ध नहीं है, इसलिए यहां फोकस है कि गेनर्स-लूजर्स बनते कैसे हैं और उन्हें पढ़ना कैसे है। नियम सरल हैं—समय कम, जोखिम ज्यादा और स्प्रेड टाइट, इसलिए संकेतों को जल्दी और साफ तरीके से समझना पड़ता है।
कौन से संकेत? सबसे पहले ओपन इंटरेस्ट (OI) में बदलाव। किस स्ट्राइक पर कॉल/पुट में ज्यादा OI खड़ा है, कहां से कट रहा है—यहीं से शॉर्ट कवरिंग या लॉन्ग अनवाइंडिंग की शुरूआत पकड़ में आती है। पुट-कॉल रेशियो (PCR) बहुत नीचे है तो डर ज्यादा, बहुत ऊपर है तो बेफिक्री; दोनों ही चरम पर उलटफेर तेज होता है।
मैक्स पेन का जोन—जहां ऑप्शन राइटर्स का नुकसान कम से कम—अक्सर इंडेक्स के लिए चुंबक की तरह काम करता है, खासकर आखिरी घंटे में। पर ये कोई गारंटी नहीं, सिर्फ संदर्भ। ग्लोबल संकेत, डॉलर-रुपया, क्रूड और किसी सेक्टर-विशेष की बड़ी खबर इन तकनीकी संकेतों को पलट सकती है।
- गैप-अप/गैप-डाउन ओपनिंग के बाद पहले 30–45 मिनट में तेज झटके आम हैं।
- एफआईआई/डीआईआई की ताजा खरीद-फरोख्त और बैंकिंग/आईटी जैसे भारी-भरकम सेक्टर की दिशा इंडेक्स को खींचती-धकेलती है।
- एफ&O बैन में फंसे शेयरों में उतार-चढ़ाव देखते समय खास सावधानी जरूरी है—लिक्विडिटी सीमित रहती है।
इंफोसिस, बिकाजी फूड्स जैसे शेयर सुर्खियों में क्यों आते हैं
इंडेक्स हैवीवेट्स की एक टिक से निफ्टी हिल जाता है। आईटी सेक्टर में इंफोसिस जैसे शेयरों पर निगाह इसलिए रहती है क्योंकि डॉलर-राजस्व, डील-विन्स, गाइडेंस और रुपये की चाल इनके मार्जिन और सेंटिमेंट को तुरंत बदल देती है। अगर रातों-रात नैस्डैक कमजोर रहा, या कोई बड़े क्लाइंट की खबर आई, तो आईटी स्टॉक्स पर असर उसी दिन दिखता है।
बिकाजी फूड्स जैसे मिडकैप एफएमसीजी में कहानी अलग है। त्योहारों के मौसम का डिमांड आउटलुक, पाम ऑयल/पैकेजिंग की लागत, डिस्ट्रीब्यूशन विस्तार, किसी फंड का एंट्री-एग्जिट, या ब्लॉक/बल्क डील—इन कारकों से तेज मूव बन सकता है। मिडकैप में फ्री-फ्लोट कम होता है, इसलिए छोटी-सी खरीद/बिक्री भी कीमत को ज्यादा हिला देती है।
एक्सपायरी के आसपास तीन तरह के ट्रिगर सबसे असरदार होते हैं:
- कंपनी-विशेष: नतीजे, ऑर्डर बुक, गाइडेंस, प्रमोटर/इंस्टीट्यूशनल हिस्सेदारी में बदलाव, बायबैक या बोनस/स्प्लिट की चर्चा।
- सेक्टर-विशेष: रेगुलेटरी अपडेट, इनपुट कॉस्ट, करेंसी का रुझान (आईटी/फार्मा के लिए), मांग का चक्र (एफएमसीजी/ऑटो के लिए)।
- मैक्रो: अमेरिकी बॉन्ड यील्ड, क्रूड, रुपया, घरेलू महंगाई/जीडीपी/नीतिगत फैसले—ये इंडेक्स मूवमेंट सेट करते हैं।
गैनर्स-लूजर्स को रियल-टाइम में पढ़ने का तरीका भी व्यवस्थित रखें। सबसे पहले बाज़ार चौड़ाई—कितने शेयर बढ़ रहे, कितने गिर रहे। फिर सेक्टोरल इंडेक्स—कौन-सा सेक्टर लीड कर रहा है। उसके बाद डिलीवरी वॉल्यूम बनाम कुल वॉल्यूम—सिर्फ ट्रेडिंग नहीं, असली खरीद हो रही है या नहीं। साथ में एफ&O में OI बदलते ही नोट करें कि मूव पोजिशन-बिल्डअप से है या सिर्फ हेजिंग से।
ट्रेडर्स के लिए छोटी-सी चेकलिस्ट:
- ओपनिंग से पहले टॉप 5 कॉल-पुट स्ट्राइक्स का OI मैप बनाएं; पहली घंटे में बदलाव लिखते चलें।
- जिस शेयर में ट्रेड करना है, उसकी पिछले 5 दिनों की हाई-लो रेंज और वीवाॅप देखें। वीवाॅप के ऊपर मजबूत, नीचे कमजोर—पर फॉल्स ब्रेकआउट के लिए स्टॉप-लॉस जरूरी।
- नग्न ऑप्शन सेलिंग एक्सपायरी पर खतरनाक हो सकती है; स्प्रेड या हेज्ड स्ट्रैटेजी अपनाएं।
- कम लिक्विड स्ट्राइक्स से बचें; बिड-आस्क स्प्रेड नुकसान बढ़ा देता है।
- लॉट साइज के हिसाब से पोजिशन साइजिंग तय करें; अचानक 2–3 कैंडल्स में गेम बदल सकता है।
निवेशकों के लिए रास्ता अलग है। एक्सपायरी की शोर-शराबे में लॉन्ग-टर्म थीसिस नहीं बदलती। आईटी में डॉलर-रेवेन्यू विजिबिलिटी, डील-विन्स और वैल्युएशन; एफएमसीजी में डिमांड ट्रेंड, इनपुट कॉस्ट और मार्जिन—इन पर फोकस रखें। तेज गिरावट में अच्छी कंपनियों को वॉचलिस्ट से निकालकर धीरे-धीरे जोड़ना अक्सर बेहतर रणनीति बनती है, पर होमवर्क पूरा करके।
डेटा कम हो तो दिन की कहानी कैसे बनाएं? टाइमलाइन बनाएं—कौन-सी खबर कब आई। OI के 15–30 मिनट के स्नैपशॉट्स सहेजें। VWAP और वॉल्यूम प्रोफाइल देखें—कहां सबसे ज्यादा ट्रेड हुआ। डिलीवरी डेटा से समझें कि मूव में “माल उठा” या सिर्फ हेजिंग हुई। यही टुकड़े जोड़कर असली तस्वीर बनती है।
आने वाले हफ्तों में आईटी के लिए करेंसी और बड़े डील अनाउंसमेंट, और एफएमसीजी/पैकेज्ड फूड्स के लिए इनपुट कॉस्ट व त्योहारी मांग सबसे बड़े संकेतक रहेंगे। एक्सपायरी डे पर इन्हीं ट्रिगर्स के साथ OI/वॉल्यूम की जुगलबंदी तय करेगी कि कौन गेनर बनेगा और कौन लूजर।