29 अक्टूबर, 2025 को सुबह 8:30 बजे तक, साइक्लोनिक तूफान मोंठा एक गहरी निम्न दबाव में बदल गया, जो तटीय आंध्र प्रदेश और आसपास के तेलंगाना के ऊपर स्थित था। लेकिन इसकी कमजोरी के बावजूद, इसकी छाया अभी भी पूरे देश में भारी बारिश, तूफानी हवाएं और बिजली के झटकों का कारण बन रही है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने दिल्ली से जारी किए गए एक दबाव संचार में कहा कि पिछले 24 घंटों में पश्चिमी राजस्थान, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु और पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर 7 से 11 सेमी तक की भारी बारिश दर्ज की गई है। यही नहीं, राजस्थान के कई जिलों में हवाएं 20-30 किमी/घंटा तक पहुंच गईं, और लोगों ने गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिए।
राजस्थान में बारिश का असली असर
राजस्थान के लिए यह बारिश अनोखी है। यहां के लोग अक्सर गर्मी और सूखे के लिए जाने जाते हैं, लेकिन अब उन्हें बारिश की चेतावनियां सुननी पड़ रही हैं। उदयपुर और कोटा विभाग में अगले 4-5 दिनों तक बादल छाए रहेंगे, और हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी। लेकिन जब यह बारिश शुरू हुई, तो लोगों ने अपने घरों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बंद कर दिए, और पेड़ों के नीचे छिपने से बचने की सलाह दी गई। जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर और 24 अन्य जिलों में IMD ने 29 अक्टूबर को सुबह 8 बजे एक पीली चेतावनी जारी की — जो 180 मिनट तक लागू रही।
मौसम का विस्तार: भारत के 18 राज्य खतरे में
मोंठा का प्रभाव केवल राजस्थान तक सीमित नहीं है। भारत के 18 राज्यों में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है। तेलंगाना में 29 अक्टूबर को कुछ जगहों पर 21 सेमी से अधिक की बारिश हो सकती है — यह एक लाल चेतावनी के बराबर है। आंध्र प्रदेश, यानम, विदर्भ और मराठवाड़ा में भी बहुत भारी बारिश की उम्मीद है। यही नहीं, बिहार में 30 और 31 अक्टूबर को, पश्चिमी हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम में 31 अक्टूबर को, और सौराष्ट्र और कच्छ में 29-31 अक्टूबर तक भारी बारिश का अनुमान है।
पुराने अनुमान और नए अपडेट: क्या IMD ने सही भविष्यवाणी की?
IMD ने 27 अक्टूबर को पहले ही चत्तीसगढ़ और दक्षिणी ओडिशा में अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की थी, और चत्तीसगढ़ में 60-70 किमी/घंटा की तूफानी हवाएं भी चलने की उम्मीद थी। वास्तविकता में, चत्तीसगढ़ में बारिश हुई, लेकिन हवाओं की गति थोड़ी कम रही। गुजरात में 27-31 अक्टूबर तक बारिश की भविष्यवाणी की गई थी, और वहां भी कुछ जगहों पर बहुत भारी बारिश हुई। लेकिन अब एक नया तत्व जुड़ गया है — पूर्वी अरब सागर में एक नया निम्न दबाव बन रहा है, जो मोंठा के बादशाह के बाद भी बारिश को बढ़ा रहा है।
क्या अगले दिन बारिश बंद होगी?
राजस्थान के लिए एक राहत की खबर है — 31 अक्टूबर से अगले 3-4 दिनों तक अधिकांश इलाकों में मौसम मुख्य रूप से शुष्क रहेगा। लेकिन उदयपुर और कोटा के लिए बादल अभी भी छाए रहेंगे। यह बात जरूरी है कि जब बारिश बंद होगी, तो भी नमी का स्तर अभी भी ऊंचा रहेगा, जिससे बीमारियां फैलने का खतरा बना रहेगा। अस्पतालों में डेंगू और ज्वर के मामले पहले से ही बढ़ रहे हैं।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
मौसम विज्ञानी डॉ. अनिल शर्मा (भारतीय मौसम विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु) के अनुसार, "मोंठा एक सामान्य उत्तरी भारतीय महासागरीय चक्रवात था, लेकिन इसका प्रभाव असामान्य रूप से व्यापक रहा। यह दर्शाता है कि हमारी जलवायु प्रणाली अब अधिक अस्थिर हो रही है।" उन्होंने जोड़ा, "जब तक हम बारिश के बाद के जल निकासी और आपातकालीन तैयारी के लिए शहरों को तैयार नहीं करेंगे, तब तक यह तूफान हमारे लिए सिर्फ एक मौसमी घटना नहीं, बल्कि एक सामाजिक आपदा बन जाएगा।"
अगले कदम: क्या अब कुछ बदलेगा?
IMD ने अगले 48 घंटों के लिए एक निरंतर निगरानी जारी रखी है। आरक्षित टीमें तेलंगाना, बिहार और उत्तर प्रदेश के उत्तरी जिलों में बाढ़ के लिए तैयार हैं। राजस्थान सरकार ने अब अपने गांवों में बारिश के बाद की स्वच्छता अभियान शुरू कर दिए हैं। लेकिन एक सवाल अभी भी बाकी है — क्या हम इस तरह की बारिश को सामान्य मान लेंगे? या यह अगले वर्ष के लिए एक नया मानक बन जाएगा?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
राजस्थान में बारिश का क्या कारण है?
राजस्थान में बारिश का मुख्य कारण साइक्लोन मोंठा का अवशेष और पूर्वी अरब सागर में बने नए निम्न दबाव का संयोग है। यह दोनों व्यवस्थाएं एक साथ नमी को राजस्थान की ओर खींच रही हैं, जहां सामान्यतः शुष्क हवाएं चलती हैं। इससे अप्रत्याशित रूप से उदयपुर और कोटा जैसे जिलों में बादल बन रहे हैं।
क्या यह बारिश सामान्य है?
नहीं, राजस्थान में अक्टूबर में इतनी व्यापक बारिश अत्यंत दुर्लभ है। पिछले 30 वर्षों में केवल तीन बार इतनी बारिश हुई है — 1998, 2011 और 2020। विशेषज्ञ मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन के कारण यह घटनाएं अब अधिक आम हो रही हैं।
क्या इस बारिश से बाढ़ का खतरा है?
हां, खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में। इन राज्यों के नदी तटीय क्षेत्रों में पहले से ही जल स्तर ऊंचा है। IMD के अनुसार, 30 अक्टूबर को गंगा के कुछ शाखाओं का जल स्तर अलर्ट स्तर से ऊपर पहुंच सकता है। गांवों में बाढ़ के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है।
क्या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को अनप्लग करना जरूरी है?
हां, बिजली के झटके और बिजली के बिना बारिश के समय वोल्टेज स्पाइक हो सकते हैं। IMD ने विशेष रूप से उदयपुर, जयपुर और कोटा में घरेलू उपकरणों को अनप्लग करने की सलाह दी है। इस बार बिजली की आपूर्ति में बाधा के मामले पहले से ही 40% बढ़ चुके हैं।
क्या अगले साल भी ऐसा होगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगले वर्ष भी उत्तरी भारत में अक्टूबर-नवंबर में असामान्य बारिश का खतरा बना रहेगा। जलवायु मॉडल दर्शाते हैं कि अरब सागर का तापमान बढ़ रहा है, जिससे चक्रवातों का निर्माण अधिक अक्सर हो रहा है। यह एक नया रूटिन बन सकता है।
मोंठा का नाम क्यों रखा गया?
साइक्लोनों के नाम दक्षिण एशियाई देशों के समूह द्वारा तय किए जाते हैं। "मोंठा" एक बांग्लादेशी नाम है, जिसका अर्थ है "चमकता हुआ"। यह नाम एक चक्रवात के बाद दूसरे के लिए चुना गया था, जो इस वर्ष के दूसरे बड़े चक्रवात था।