कोरोना काल में करें ये खास योगासन, बढ़ेगी इम्‍यूनिटी और लंग्‍स बनेंगे मजबूत

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह और भी जरूरी हो गया है कि हम अपना ज्‍यादा ख्‍याल रखें और सेहतमंद रहें. अब जबकि कोरोना संक्रमण (Corona Infection) की दूसरी लहर तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है और इसमें लोगों को सांसों से संबंधित समस्‍याएं ज्‍यादा हो रही हैं. ऐसे में नियमित तौर पर किए जाने वाले योगासन (Yoga Postur) संक्रमण से बचाव करने में मददगार हो सकते हैं. इसलिए अपने रूटीन में योग शामिल करने चाहिए, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ लंग्‍स की क्षमता (Lung Capacity) को भी बढ़ाएं. आज कई ऐसे योगासन सिखाए गए जो लंग्‍स की होल्‍ड करने की केपिसिटी को बढ़ाएंगे ताकि सांस लेने में आसानी हो. साथ ही कमर दर्द आदि समस्‍याएं भी दूर होंगी. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर जो लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं उन्‍हें भी नियमित योगाभ्‍यास करना चाहिए. ताकि वे तनाव से दूर हों और लंबे समय तक बैठे रहने से कमर दर्द आदि समस्‍याएं होती हैं, उनसे भी राहत पा सकें. पर्वत आसन, भुजंग आसन आदि कई ऐसे आसन हैं जो लंग्‍स की क्षमता को बढ़ाते हैं और कमर दर्द में भी आराम देते हैं. कमर लचीली बनती है. इसके अलावा योग करते समय इन नियमों का पालन करें. श्‍वास के साथ योगाभ्‍यास करें, गतिबद्ध लयबद्ध तरीके से योगाभ्‍यास करें और योगाभ्‍यास अपनी क्षमता के अनुसार ही करें. ग्रीवा शक्ति विकासक क्रिया इस योग क्रिया को करने के लिए अपनी जगह पर खड़े हो जाएं. जो लोग खड़े होकर इस क्रिया को करने में असमर्थ हैं वे इसे बैठकर भी कर सकते हैं. जो जमीन पर नहीं बैठ सकते वे कुर्सी पर बैठकर भी इसका अभ्यास कर सकते हैं. कंफर्टेबल पोजीशन में खड़े होकर हाथों को कमर पर टिकाएं. शरीर को ढीला रखें. कंधों को पूरी तरह से रिलैक्स रखें. सांस छोड़ते हुए गर्दन को आगे की ओर लेकर आएं. चिन को लॉक करने की कोशिश करें. जिन लोगों को सर्वाइकल या गर्दन में दर्द की समस्या हो वह गर्दन को ढीला छोड़ें चिन लॉक न करें. इसके बाद सांस भरते हुए गर्दन को पीछे की ओर लेकर जाएं. पूर्ण भुजा शक्ति विकासक क्रिया जो लोग कठिन आसन करने में दिक्कत महसूस करते हैं, वे पूर्ण भुजा शक्ति विकासक क्रिया आसन आसानी से कर सकते हैं. इस आसन को करने के लिए सावधान मुद्रा में खड़े हों. इसके बाद अपने दोनों पैरों को आपस में मिला लें. इसके बाद अपने दाएं हाथ का अंगूठा अंदर और अपनी उंगलियां बाहर रखते हुए मुट्ठी बांध लें और श्वास भरते हुए अपनी दाईं भुजा को अपने कंधों के सामने की ओर लाएं और फिर इसी तरह श्वास भरते हुए भुजा को ऊपर ले जाएं. इसके बाद अपने दाएं हाथ से लगातार कुछ देर इसी तरह गोलाकार चलाएं. यही प्रक्रिया बाएं हाथ से भी मुट्ठी बनाकर कई बार दोहराएं.
इसे भी पढ़ें – सूर्य नमस्‍कार से करें दिन की शुरुआत, रोगों से मुक्ति दिलाएंगे ये योगासन नौकासन इस योगासन को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं. अब अपने दोनों पैरों को एक साथ जोड़ लें और अपने दोनों हाथों को भी शरीर के साथ लगा लें. इसके बाद एक गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए अपने दोनों हाथों को पैरों कि ओर खींचते हुए अपने पैरों के साथ अपनी छाती को उठाएं. अब एक लंबी और गहरी सांसे लेते हुए आसन को बनाए रखें और फिर सांस छोड़ते हुए विश्राम करें. शलभासन शलभासन एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें पहले शब्द शलभ का अर्थ टिड्डे या कीट (Locust ) और दूसरा शब्द आसन का अर्थ होता है मुद्रा अर्थात शलभासन का अर्थ है टिड्डे के समान मुद्रा होना. इस आसन को अंग्रेजी में ग्रासहोपर पोज बोलते हैं. इससे आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है. इसे भी पढ़ें – लंबे समय तक रहना चाहते हैं जवां तो करें शीर्षासन, और भी हैं गजब के फायदे शलभासन के फायदे शलभासन वजन को कम करने के लिए एक अच्छी योग मुद्रा मानी जाती है. यह शरीर में चर्बी को खत्म करने में मदद करती है. शरीर की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छी मुद्रा है. यह शरीर के हाथों, जांघों, पैरों और पिंडरी को मजबूत करता है, इसके साथ यह पेट की चर्बी को कम करके उसे सुंदर बनाता है. रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने के लिए शलभासन एक अच्छा योग है. शलभासन से अनेक प्रकार की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है. यह हमारे पेट के पाचन तंत्र को ठीक करता करता है, जिससे पेट संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं, इसके साथ यह कब्ज को ठीक करता है, शरीर में अम्ल और क्षार के संतुलन को बनाए रखता है. ऊष्‍ट्र आसन यह आसन रीढ़ की हड्डी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत ही कारगर आसन है. इस आसन में शरीर ऊंट की मुद्रा में होता है. इस मुद्रा में शरीर को पीछे की तरफ झुकाया जाता है. इससे रीढ़ की हड्डी पर सकारात्मक दबाव बनता है. इस दबाव के कारण जल्दी ही रीढ़ की हड्डी की समस्याएं दूर होने लगती हैं. साथ ही यह लंग की कैपिसिटी को बढ़ाता है. वक्रासन वक्रासन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं और अपने दोनों पैर आगे की तरफ कर लें. अब अपना एक पैर उठाएं और मोड़ लें. अब इसी ओर के हाथ को पीछे की तरफ ले जाएं. इसके बाद अपना दूसरा हाथ ऊपर उठाकर पीछे की ओर ले जाएं. इसी स्थिति में कुछ देर बैठें और गहरी सांस लें. बटरफ्लाई आसन बटरफ्लाई आसन को तितली आसन भी कहते हैं. महिलाओं के लिए ये आसन विशेष रूप से लाभकारी है. बटरफ्लाई आसन करने के लिए पैरों को सामने की ओर फैलाते हुए बैठ जाएं,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें. घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को श्रोणि की ओर लाएं. दोनों हाथों से अपने दोनों पांव को कस कर पकड़ लें. सहारे के लिए अपने हाथों को पांव के नीचे रख सकते हैं. एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें. लंबी,गहरी सांस लें, सांस छोड़ते हुए घटनों एवं जांघो को जमीन की तरफ दबाव डालें. तितली के पंखों की तरह दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें. धीरे धीरे तेज करें. सांसें लें और सांसे छोड़ें. शुरुआत में इसे जितना हो सके उतना ही करें. धीरे-धीरे अभ्यास बढ़ाएं.

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