कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर ने भारत में विषम परिस्थिति पैदा कर दी है. संक्रमण के बढ़ते मामलों और मौत के आंकड़ों ने स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली को सामने ला दिया है. अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर, कोविड-19 के इलाज में उपयोग होनेवाली दवा की कमी स्पष्ट तौर पर देखी जा रही है. लोग जिंदगी बचाने की जुगत में रेमडेसिविर जैसी दवा को महंगे दामों पर न सिर्फ खरीदने को मजबूर हैं बल्कि धंधेबाजों ने आपदा में भी अवसर ढूंढ निकाला है.
कोरोना महामारी में भी इंसानियत भूले
धंधेबाज जरूरतमंदों तक फर्जी रेमडेसिविर की आपूर्ति कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच पिछले दिनों फर्जी रेमेडेसीवीर इंजेक्शन बनाने के गिरोह का भंडाफोड़ किया था. वर्तमान हालात में ये जानना जरूरी है कि आखिर कैसे असली और नकली के बीच अंतर करें डीसीपी क्राइम ब्रांच मोनिका भारद्वाज की धंधेबाजों के झांसे में आने से बचने के लिए लोगों को सलाह है. जरूरतमंद कैसे पहचान करें कि रेमडेसिविर की दवा नकली है या असली. मोनिका के मुताबिक उसमें कई बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए. अगर आप ध्यान देंगे तो बहुत आसानी से अंतर कर पाएंगे. सबसे पहले RX का सिंबल देखें, ये पैकेजिंग के अलावा अंदर इंजेक्शन पर भी लिखा होता है.
रेमडसिविर में असली और नकली की कर सकते हैं खुद से अंतर
दूसरा तरीका रेमडेसिविर के बीच अंतर करने का बहुत आसान है. स्पेलिंग मिस्टेक. कोई भी बड़ी फार्मा कंपनी स्पेलिंग में गलती नहीं करती है. लेकिन फर्जी रेमडेसिविर के इंजेक्शन में स्पेलिंग की गलती होने की पूरी संभावना रहती है. उनका कहना है कि क्राइम ब्रांच की कार्रवाई में रेमडेसिविर पर For use in India की जगह For used in India लिखा हुआ था. आप देख सकते हैं यूज में सिर्फ डी को बढ़ाया गया है. यह बहुत ही आसान तरीका है जिससे आप दवा के फर्जी होने की पहचान कर सकते हैं. आप फर्स्ट लेटर हमेशा कैपिटल में लिखा हुआ देखते हैं जैसे For use in India. उसके जरिए भी आप नकली-असली के बीच अंतर कर सकते हैं. आप चाहें तो उसमें दिए हुए मैन्युफैक्चर एड्रेस को गूगल कर देख सकते हैं. अगर कोई भरोसेमंद मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है तो आपको उसके बारे में गूगल पर जानकारी मिल जाएगी.
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