जब संग्रांडभारत की पहली तिथि 14 जनवरी 2025 को आई, तो सिख धर्मावलंबियों ने तुरंत कैलेंडर के बाकी द्वादश महीनों को नज़र में रखा। इस महीने‑दर‑महीने के पहलू न केवल धार्मिक उत्तरदायित्व कोचाते हैं, बल्कि ऋतु‑परिवर्तन के साथ आत्म‑पुनरुज्जीवन का संदेश भी देते हैं। 2025 में पैदा होने वाले इन बारा तिथियों का सटीक ज्ञान, विशेषकर जब विभिन्न स्रोतों में एक‑दो दिन का अंतर दिखता है, समुदाय के लिए योजना‑बद्ध प्रार्थना एवं सामाजिक मिलन के लिये बेहद अहम है।
पृष्ठभूमि: नैनकशाही कैलेंडर का इतिहास
नैनकशाही कैलेंडर, जिसका आधिकारिक नाम "Nanakshahi Calendar" है, 2003 में स्वीकृत हुआ था। यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ तालमेल बिठाते हुए सूर्य‑मास के अनुसार प्रत्येक महीने की शुरुआत तय करता है। कई सालों से Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee (SGPC) इस कैलेंडर को आधिकारिक रूप में अपनाने से हिचकिचा रहा है, इसलिए कई सिद्धांतिक संस्करण आज भी चलन में हैं।
SGPC की असहमतियों का मुख्य कारण यह है कि कुछ धार्मिक विद्वान मानते हैं कि "मूल नैनकशाही कैलेंडर" (Mool Nanakshahi Calendar) अधिक सटीक खगोलीय गणना प्रदान करता है, जबकि SGPC द्वारा समर्थित संस्करण सामाजिक‑सांस्कृतिक रीति‑रिवाज़ों को प्राथमिकता देता है। इस कारण, sikhizm.com जैसी वेबसाइटें पिछले कुछ वर्षों में तिथियों में 1‑2 दिन का अंतर दर्शाती हैं।
2025 के संग्रांड तिथियों की पूरी सूची
- माघ (Magh) – मंगल, 14 जनवरी 2025
- फगुन (Phagun) – बुधवार, 12 फरवरी 2025
- चेट (Chet) – शुक्रवार, 14 मार्च 2025
- वैसाख (Vaisakh) – रविवार, 13 अप्रैल 2025 (स्रोतों में 14 अप्रैल भी बताया गया)
- जेठ (Jeth) – बुधवार, 14 मई 2025 (sikhizm.com पर 15 मई)
- हर (Harh) – रविवार, 15 जून 2025
- सावन (Sawan) – बुधवार, 16 जुलाई 2025
- भादों (Bhadun) – शनिवार, 16 अगस्त 2025
- असु (Assu) – मंगलवार, 16 सितंबर 2025 (sikhizm.com पर 15 सितंबर)
- कटिक (Katak) – शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 (स्रोत में 15 अक्टूबर)
- मघर (Maghar) – रविवार, 16 नवंबर 2025 (स्रोत में 14 नवंबर)
- पोहन (Poh) – सोमवार, 15 दिसंबर 2025 (sikhizm.com पर 14 दिसंबर)
डिसंबर तक पूरे बारा संग्रांड मिलते हैं, जिससे साल भर के लिए नियोजित प्रार्थना, कथा वाचन और सामुदायिक सेवा के अवसर बनते हैं।
स्रोतों में अंतर: क्यों होते हैं ये भिन्नताएँ?
मुख्य कारण दो‑स्तरीय हैं: पहला, खगोलीय गणनाओं में छोटे‑छोटे परिवर्तन (जैसे शीर्ष बिंदु के अंतर) जो ग्रेगोरियन तिथियों से मिलते‑जुलते होते हैं। दूसरा, सामाजिक‑धार्मिक परंपरा जो कुछ क्षेत्रों में सूर्योदय के समय को आधार बनाती है।
"हम SGPC में मानते हैं कि कैलेंडर को स्थानीय रीति‑रिवाज़ों के साथ संतुलित होना चाहिए, इसीलिए हम अक्सर कुछ महीनों में एक‑दो दिन की लचक देते हैं" – SGPC के प्रवक्ता गुरदास सिंह ने 5 मार्च 2025 को एक साक्षात्कार में कहा।
दूसरी ओर, Punjab Data जैसे डेटा‑केंद्रित पोर्टल विस्तृत तालिकाएँ प्रकाशित करते हैं, जिसमें प्रत्येक महीने के मौसम‑संबंधी विषय, प्रार्थना‑उपदेश और सामाजिक कार्यक्रमों की सूची शामिल होती है। इन तालिकाओं की मदद से गुरुओं और क्षत्रियों को अपने कार्य‑योजनाओं में सटीकता मिलती है।
धार्मिक एवं सामाजिक महत्व
संग्रांड केवल कैलेंडर की शुरुआत नहीं, बल्कि आत्म‑पुनरुज्जीवन का एक आध्यात्मिक क्षण है। प्रत्येक महीने के साथ जुड़ी थीम इस प्रकार है:
- माघ – शीतकालीन शान्ति और सत्कार्य की तैयारी।
- फगुन – वसंत का स्वागत, आशा और नवजीवन।
- चेट – प्रकृति का जागरण, आध्यात्मिक विकास।
- वैसाख – कृषि‑आरम्भ, सामुदायिक मिलन।
- जेठ – गर्मी की तैयारी, आध्यात्मिक दृढ़ता।
- हर – फल‑फसल का उत्सव, सेवा कार्य।
- सावन – मानसून की बरसात, शुद्धता की अभिलाषा।
- भादों – धान‑कटाई, कृतज्ञता।
- असु – शरद ऋतु, चिंतन एवं शांति।
- कटिक – सर्दी की शुरुआत, आत्म‑निरीक्षण।
- मघर – सर्दी का मध्य, सामाजिक समर्थन।
- पोहन – वर्ष का अंत, नई संकल्पों की तैयारी।
इन थीमों के आधारे पर गुरुओं द्वारा प्रवचन, गुरुद्वारा में सामूहिक क़ीर्तन और स्थानीय समाज को साथ लाने वाले भोजन वितरण कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
भविष्य की दिशा और समुदाय की प्रतिक्रियाएँ
2025 के डिजिटल युग में, कई गुरुद्वारा अब ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से संग्रांड को वैश्विक सिख समुदाय तक पहुंचा रहे हैं। Punjab की कई युवा संगठनों ने मोबाइल एप्लिकेशन जारी कर तिथियों, प्रार्थनाओं और स्थानीय इवेंट्स की रिमाइंडर भेजी हैं।
वहीं, कुछ पारंपरिक गुट अभी भी मैनुअल कैलेंडर पर भरोसा करते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि हाथ से लिखी तिथि डिजिटल तकनीक से अधिक आत्मीय होती है। "हम अपने लोकल पंकज में हर संग्रांड को हाथ से लिखते हैं, क्योंकि यह विरासत को जीवित रखता है," एक बुजुर्ग संगत ने अमृतसर में आयोजित वार्षिक सभा में कहा।
आगे देखते हुए, SGPC ने कहा है कि वह एक वर्ष के भीतर सभी गटों के बीच एकीकृत कैलेंडर नियोजन का प्रयास करेगा, ताकि भविष्य में तिथियों में ऐसा कोई भ्रम न हो।
मुख्य बिंदु
- 2025 में कुल 12 संग्रांड तिथियाँ, प्रत्येक महीने की शुरुआत को दर्शाती हैं।
- स्रोतों में 1‑2 दिन की अंतराल मुख्यतः खगोलीय गणना व स्थानीय परम्पराओं के कारण है।
- SGPC ने अभी तक मूल नैनकशाही कैलेंडर को आधिकारिक रूप नहीं दिया है, जिससे विविधता बनी रहती है।
- प्रत्येक संग्रांड का सामाजिक‑धार्मिक थीम जुड़ा है, जिससे समुदायिक सेवा और प्रार्थना के अवसर बढ़ते हैं।
- डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और मोबाइल ऐप्स के ज़रिए तिथियों का प्रचार तेज़ी से बढ़ रहा है।
Frequently Asked Questions
2025 में संग्रांड तिथियों का अंतर क्यों है?
मुख्य कारण खगोलीय गणनाओं में छोटे‑छोटे बदलाव और SGPC व विभिन्न स्थानीय गुटों के बीच परम्परागत रीति‑रिवाज़ों का अंतर है। इसलिए sikhizm.com जैसे पोर्टल कुछ महीनों में 1‑2 दिन का अंतर दिखाते हैं।
संग्रांड के दौरान सिख समुदाय किन‑किन धार्मिक गतिविधियों में भाग लेता है?
प्रत्येक संग्रांड पर गुरुद्वारा में क़ीर्तन, सत्संग, ग्रन्थ पाठ और सामुदायिक भोजन (लाੲ) का आयोजन होता है। कुछ क्षेत्रों में विशेष रूप से सामाजिक सेवा जैसे अनाथालयों में दान‑वितरण भी किया जाता है।
SGPC का मूल नैनकशाही कैलेंडर के बारे में क्या موقف है?
SGPC ने अभी तक मूल नैनकशाही कैलेंडर को पूर्ण रूप से नहीं अपनाया है। उनका कहना है कि स्थानीय परम्पराओं और सामाजिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक लचीला कैलेंडर बनाना ज़रूरी है।
क्या डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म संग्रांड को लोकप्रिय बना रहे हैं?
हाँ। कई गुरुद्वारा अब लाइव स्ट्रीमिंग, मोबाइल एप्लिकेशन और सोशल मीडिया के माध्यम से संग्रांड की तिथि, समय और थीम को विश्वभर के सिख समुदाय तक पहुंचा रहे हैं, जिससे युवा पीढ़ी भी सक्रिय रूप से भाग ले रही है।
संकट‑काल में संग्रांड के महत्व में क्या परिवर्तन आता है?
कठिन समय में संग्रांड को अक्सर आध्यात्मिक रीसेट की तरह देखा जाता है। लोग इस अवसर पर विशेष प्रार्थनाएँ और समूह भजन करते हैं, जिससे मनोबल बढ़ता है और समुदाय में एकता का भाव बनता है।